मौनी अमावस्या 2024 कब है? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानें
मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मौन रहने से मन शांत होता है और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन वाणी पर संयम रखकर ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। मौन व्रत के साथ-साथ स्नान, दान और पूजा का भी विशेष महत्व है।
पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर ही गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। पितरों को जल, अन्न और वस्त्र अर्पित करके उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
दान-पुण्य करने से भी इस दिन विशेष फल प्राप्त होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करना चाहिए। गायों को हरा चारा खिलाना और पक्षियों को दाना डालना भी शुभ माना जाता है।
मौनी अमावस्या के दिन पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा में दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित किए जाते हैं। पूजा के बाद भगवान की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद मंदिर जाकर भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए।
मौनी अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन मौन रहकर, स्नान-दान और पूजा करके हम अपने जीवन को पवित्र और सफल बना सकते हैं। इस पावन दिन पर ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।