मादुरो के शासनकाल में, वेनेजुएला में लोकतंत्र की स्थिति भी बिगड़ती गई। विपक्षी दलों का दमन, मीडिया पर सेंसरशिप और चुनावी अनियमितताओं के आरोप लगातार लगते रहे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी मादुरो सरकार की आलोचना की है और कई देशों ने उन पर प्रतिबंध लगाए हैं।

वेनेजुएला की आर्थिक दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण गिरते तेल उत्पादन को माना जाता है। देश की अर्थव्यवस्था लगभग पूरी तरह से तेल निर्यात पर निर्भर है और तेल की कीमतों में गिरावट और उत्पादन में कमी ने देश की आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया। इसके अलावा, मादुरो सरकार की आर्थिक नीतियों, जैसे कि मूल्य नियंत्रण और मुद्रा नियंत्रण, ने भी स्थिति को और बिगाड़ा है।

वेनेजुएला के भविष्य के लिए क्या रास्ता है, यह कहना मुश्किल है। मादुरो सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए दृढ़ हैं, जबकि विपक्षी दल बदलाव की मांग कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। क्या वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली हो पाएगी? क्या देश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ पाएगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब समय ही देगा।

वेनेजुएला के संकट का असर पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है। लाखों वेनेजुएला के नागरिक पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं, जिससे इन देशों पर भी आर्थिक और सामाजिक बोझ बढ़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस संकट का समाधान ढूंढने के लिए मिलकर काम करना होगा, ताकि वेनेजुएला के लोग शांति और समृद्धि का जीवन जी सकें।

मादुरो सरकार पर मानवाधिकार हनन के भी गंभीर आरोप लगे हैं। राजनीतिक विरोधियों को जेल में डालना, यातना देना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन जैसे आरोपों की अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने निंदा की है।

वेनेजुएला के लोगों के लिए भविष्य अनिश्चित है। देश गहरे संकट में फंसा हुआ है और इससे निकलने का रास्ता साफ़ नहीं दिख रहा है।